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About author : डॉ. कामिनी जैन का जन्म होशंगाबाद म.प्र. वर्तमान में नर्मदापुरम के नाम से जाना जाता है ने बी.एस.सी.गृहविज्ञान, एम.एस.सी. गृहविज्ञान, बी.एड एवं पी.एच.डी. की उपाधियॉ प्राप्त की। इन्होने अपना शोध कार्य डॉ. आई. एस. चौहान पूर्व उच्चायुक्त फिजी पूर्व कुलपति बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल एवं भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल के निर्देषन में किया। डॉ. जैन ने 1984 से अपनी शासकीय सेवाएं सहायक प्राध्यापक पद से शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय नर्मदापुरम म.प्र. से प्रारंभ की। वर्तमान में स्नातकोत्तर प्राचार्य के पद पर शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय नर्मदापुरम म.प्र. में पदस्थ है। इनकी 29 से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। इनकी 50 बुकलेट, 112 प्रसार लेख एवं 100 से अधिक शोध उपाधियॉ एवं लघुषोध निर्देषन 50, लगभग 200 से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन हो चुका है। इन्होने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रदत्त 08 शोध परियोजनाओं एवं 09 राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद भोपाल द्वारा प्रदत्त शोध परियोजनाओं पर कार्य किया है। शोध के क्षेत्र में इनके योगदान को देखते हुए इन्हे रिसर्च लिंक स्वर्ण पदक, मदर टेरेसा अवार्ड, राजीव गॉधी एजुकेशन एक्सीलेंस अवार्ड, बेस्ट प्रिंसीपल अवार्ड रिसर्च एजुकेशन द्वारा 05 सितम्बर 2022 में एवं शिक्षा-रत्न पुरस्कार प्रदान किये गये है। आयुक्त म.प्र. शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा इन्हे सत्र 2012-13 में इनके कुषल नेतृत्व एवं शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता के लिए प्रयास के लिए प्रशंसा पत्र प्रदान किया गया है।
About book : खाद्य परिरक्षण की कला प्राचीन काल से प्रचलित है। मनुष्य ने अपने अनुभव के आधार पर इसे सीखा और अपनाया। सभ्यता के क्रमिक विकास और वैज्ञानिक खोजों के साथ साथ परिरक्षण कला का विभिन्न तरह से विकास होता जा रहा है। वर्तमान समय में परिरक्षण व्यवसायिक और घरेलू स्तर पर विज्ञान एवं कला के मिश्रण के रूप में विद्यमान है। अतः फल और सब्जियों के परिरक्षण की जानकारी होना नितांत आवश्यक है।