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ISBN : 978-81-19281-19-0
Category : Academic
Catalogue : Reference
ID : SB20561

जैविक खेती के नये आयाम

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डॉ. कामिनी जैन

Paperback
499.00
e Book
299.00
Pages : 333
Language : Hindi
PAPERBACK Price : 499.00

About author : डॉ. श्रीमती कामिनी जैन का जन्म होषंगाबाद म.प्र. वर्तमान में नर्मदापुरम के के नाम से जाना जाता है ने बी.एस.सी.गृहविज्ञान, एम.एस.सी. गृहविज्ञान, बी.एड एवं पी.एच.डी. की उपाधियॉ प्राप्त की। इन्होने अपना शोध कार्य डॉ. आई. एस. चौहान पूर्व उच्चायुक्त फिजी पूर्व कुलपति बरकतउल्ला विष्वविद्यालय भोपाल एवं भोज मुक्त विष्वविद्यालय भोपाल के निर्देषन में किया। डॉ. जैन ने 1984 से अपनी शासकीय सेवाएॅ सहायक प्राध्यापक पद से शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय नर्मदापुरम म.प्र. से प्रारंभ की। वर्तमान में स्नातकोत्तर प्राचार्य के पद पर शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय नर्मदापुरम म.प्र. में पदस्थ है। इनकी 30 से अधिक पुस्तकों का प्रकाषन हो चुका है। इनकी 50 बुकलेट, 112 प्रसार लेख एवं 100 से अधिक शोध उपाधियॉ एवं लघुषोध निर्देषन 50, लगभग 200 से अधिक शोध पत्रों का प्रकाषन हो चुका है। इन्होने विष्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रदत्त 08 शोध परियोजनाओं एवं 09 राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद भोपाल द्वारा प्रदत्त शोध परियोजनाओं पर कार्य किया है। शोध के क्षेत्र में इनके योगदान को देखते हुए इन्हे रिसर्च लिंक स्वर्ण पदक, मदर टेरेसा अवार्ड, राजीव गॉधी ऐजुकेषन एक्सीलेंस अवार्ड, बेस्ट प्रिंसीपल अवार्ड रिसर्च ऐज्यूकेषन द्वारा 05 सितम्बर 2022 में एवं षिक्षा-रत्न पुरस्कार प्रदान किये गये है। आयुक्त म.प्र. शासनष्उच्च षिक्षा विभाग द्वारा इन्हे सत्र 2012-13 में इनके कुषल नेतृत्व एवं षिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता के लिए प्रयास के लिए प्रषंसा पत्र प्रदान किया गया है।

About book : जैविक खेती के जनक अल्वर्ट हावर्ड (ब्रिटिष) है। भारत में वर्ष 2003 एवं 2004 में जैविक खेती को लेकर गंभीरता आई। जैव विविधता को बचाने और खाद्य चक्र को कम करने में सहायता करने के लिए जैविक खेती महत्वपूर्ण है। पारंपरिक भोजन की तुलना में जैविक भोजन के सेवन से कई स्वास्थ्य लाभ होते है। जैविक खेती दो प्रकार की होती है शुद्ध जैविक खेती और एकीकृत जैविक खेती दुनिया भर में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता उपभोक्ता तेजी से बाजार में जैविक खाद्य पदार्थों की मांग कर रहे हैं। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा निरंतर प्रयास जारी है। जैविक खेती को हम देषी खेती भी कह सकते हैं। जैविक खेती पर्यावरण की शुद्धता बनाये रखने के साथ ही भूमि के प्राकृमिक स्वरूप को बनाये रखती है।

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