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ISBN : 978-93-6087-027-0
Category : Academic
Catalogue : Social
ID : SB20956

श्लोकवार्तिक में प्रतिपादित अपोहवाद

NA

प्रो. सुभाष चन्द्र शास्त्री

Paperback
499.00
e Book
199.00
Pages : 240
Language : Hindi
PAPERBACK Price : 499.00

About author : "श्लोक वार्तिक में प्रतिपादित अपोहवाद "ग्रंथ के लेखक प्रो.सुभाष चंद्र शास्त्री हैं। इनका जन्म उड़ीसा में बरगढ़ जिला के डंगाघाट ग्राम में हुआ। इन्होंने गुरुकुल गौतम नगर दिल्ली में आचार्य तक की पढ़ाई की। तत्पश्चात दिल्ली विश्वविद्यालय से एम्.ए., एम्.फिल्. एवं पीएच् .डी. की उपाधि प्राप्त की। सन 1999 में महाविद्यालय शाखा राजस्थान में चयनित होकर विभिन्न महाविद्यालयों में सहायक आचार्य,सह आचार्य एवं आचार्य रहे। वर्तमान में नीमराना के राजकीय महाविद्यालय में प्राचार्य पद पर कार्य कर रहे हैं।

About book : महात्मा बुद्ध के वचन सर्वम् क्षणिकम्, सर्वम् अनित्यम्, सर्वम् अनात्मम् के अनुसार इस संसार में कुछ भी नित्य नहीं है जबकि आस्तिक दर्शन परंपरा शब्द,अर्थ एवं संबंध को नित्य मानता है। बुद्ध के समय विद्वानों में निरंतर शास्त्रार्थ हुआ करते थे । 'अनित्यता' के विचार को प्रतिष्ठित करने के लिए आचार्य दिङ्नाग , धर्मकीर्ति एवं रत्नकीर्ति आदि दर्शनिकों ने अपोहवाद को जन्म दिया एवं प्रतिष्ठित किया ।इस अपोहवाद के निराकरण के लिए आचार्य कुमारिल भट्ट ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ श्लोक वार्तिक में अपोहवाद प्रकरण में इस विषय पर विस्तार से चर्चा की है।

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