ISBN : 978-93-6087-027-0
Category : Academic
Catalogue : Social
ID : SB20956
Paperback
499.00
e Book
199.00
Pages : 240
Language : Hindi
महात्मा बुद्ध के वचन सर्वम् क्षणिकम्, सर्वम् अनित्यम्, सर्वम् अनात्मम् के अनुसार इस संसार में कुछ भी नित्य नहीं है जबकि आस्तिक दर्शन परंपरा शब्द,अर्थ एवं संबंध को नित्य मानता है। बुद्ध के समय विद्वानों में निरंतर शास्त्रार्थ हुआ करते थे । 'अनित्यता' के विचार को प्रतिष्ठित करने के लिए आचार्य दिङ्नाग , धर्मकीर्ति एवं रत्नकीर्ति आदि दर्शनिकों ने अपोहवाद को जन्म दिया एवं प्रतिष्ठित किया ।इस अपोहवाद के निराकरण के लिए आचार्य कुमारिल भट्ट ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ श्लोक वार्तिक में अपोहवाद प्रकरण में इस विषय पर विस्तार से चर्चा की है।