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ISBN : 978-93-6087-831-3
Category : Fiction
Catalogue : Poetry
ID : SB20944

जमीं पर हैं पटके

गीतावली

डॉ० चिरंजी लाल ‘चंचल’

Hardcase
1500.00
e Book
99.00
Pages : 112
Language : Hindi
HARDCASE Price : 1500.00

About author : नाम : डॉ० चिरंजी लाल ‘चंचल’ जन्म तिथि : 05-01-1950 पैत्रक निवास : मौहल्ला भूवरा, टाउन एरिया– मसवासी जनपद-रामपुर, उत्तर प्रदेश पिता का नाम : निर्वाण प्राप्त श्रध्देय कड़ढे लाल जी माता का नाम : निर्वाण प्राप्त श्रध्देया (श्रीमती ) मंगिया देवी जी शिक्षा : एम० ए० (हिन्दी, संस्कृत, दर्शनशास्त्र), बी० एड०, पी० एच० डी० कार्य क्षेत्र : सेवानिवृत प्रवक्ता, हिन्दी संस्कृत, सनातन धर्म इन्टर कालेज, रामपुर सम्प्रति : संस्थापक एवं प्रबन्धक, इनोवेटिव पब्लिक जूनियर हाई स्कूल, मुरादाबाद प्रकाशित कृतियाँ गीतावली 1. ऐसे न समर्पण कर दूँगा 2. कैसे न समर्पण कर दूँगा 3. तथाता 4. अथोsहम 5. तथात्वम 6. सम्मासती 7. अपने दीपक आप सभी 8. नाम क्या दूँ ? 9. तत्त्वमसि 10. शीशों का मसीहा कौन यहाँ? 11. मिला कोई नहीं मिलने 12. हमने कब डाले हथियार 13. जमीं पर हैं पटके कवितावली 1. सूरज निकलता नही 2. हार नही मानूँगा 3. क्या इस ब्यूह को तोड़ सकोगे 4. बैठे हैं तैयार 5. तुम्हारा क्या ? 6. यह कैसा जनतंत्र दोहावली 1. भाग एक 2. भाग दो खण्ड काव्य 1. चतुर्दिक नमन गज़लें 1. बिखरा हूँ मैं 2. संसार क्या जाने ? मुक्तकावली सम्मान : दलित साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा डॉ० अम्बेडकर फेलोशिप, डॉ० अम्बेडकर मेमोरियल ट्रस्ट अलीगढ़ द्वारा अन्तराष्ट्रीय भीम रत्न पुरस्कार, भारतीय बौध्द महासभा उ०प्र० द्वारा साहित्य एवं समाज के क्षेत्र में दी जाने वाली डॉ० अम्बेडकर फेलोशिप से सम्मानित, अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध I सम्पर्क सूत्र : इनोवेटिव पब्लिक स्कूल, निकट चौहानों की मिलक, मण्डी समिति रोड मुरादाबाद उ०प्र० पिन- 244001, मोब.न. 09997344811, 09897777499 Email ID:shilshasta1950@gmail.com

About book : हर एक रचनाकार की इस विशाल दुनिया के भीतर अपनी एक छोटी सी दुनिया होती हैI जिसमें वह रहता है और जिसको वह जीता हैI ‘जमीं पर हैं पटके’ पुस्तक में देखी, भोगी और सुनी अनुभूतियों को यथार्थ के धरातल पर सृजित किया गया हैI देश, काल और वातावरण के अनुसार जो समय ने दिया वह समाज को लौटाने का सशक्त प्रयास है रचनाधर्मिता के प्रति सच्ची ईमानदारी इस पुस्तक की कविताओं और गीतों में दर्शनीय और पठनीय हैI इस पुस्तक की समस्त कविताओं और गीतों में वर्तमान परिवेश को दृष्टिगत रखते हुए उसका सजीव चित्रण शब्दायिक किया गया हैI जब हवा तथाकथित जनप्रतिनिधि के अनुकूल होती है तब वे सारे कार्य कर जाते हैं जो किसी दशा में भी जनहित अथवा राष्ट्रहित में नही होते और जब हवा उनके प्रतिकूल होती है तब उनके द्वारा किये गये समस्त कार्यों का विवेचन, विश्लेषण और मूल्याँकन होता हैI

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