shashwatsuport@gmail.com +91 7000072109 B-75, Krishna Vihar, Koni, Bilaspur, C.G 495001
Mon - Sat 10:00 AM to 5:00 PM
Book Image
Book Image
Book Image
ISBN : 978-93-6087-662-3
Category : Fiction
Catalogue : Poetry
ID : SB21022

तुम कौन हो?

गीतावली

Dr. Chiranji Lal 'Chanchal'

Hardcase
1500.00
e Book
299.00
Pages : 112
Language : Hindi
HARDCASE Price : 1500.00

About author : नाम : डॉ० चिरंजी लाल ‘चंचल’ जन्म तिथि : 05-01-1950 पैत्रक निवास : मौहल्ला भूवरा, टाउन एरिया– मसवासी जनपद-रामपुर, उत्तर प्रदेश पिता का नाम : निर्वाण प्राप्त श्रध्देय कड़ढे लाल जी माता का नाम : निर्वाण प्राप्त श्रध्देया (श्रीमती ) मंगिया देवी जी शिक्षा : एम० ए० (हिन्दी, संस्कृत, दर्शनशास्त्र), बी० एड०, पी० एच० डी० कार्य क्षेत्र : सेवानिवृत प्रवक्ता, हिन्दी संस्कृत, सनातन धर्म इन्टर कालेज, रामपुर सम्प्रति : संस्थापक एवं प्रबन्धक, इनोवेटिव पब्लिक जूनियर हाई स्कूल, मुरादाबाद प्रकाशित कृतियाँ गीतावली 1. ऐसे न समर्पण कर दूँगा 2. कैसे न समर्पण कर दूँगा 3. तथाता 4. अथोsहम 5. तथात्वम 6. सम्मासती 7. अपने दीपक आप सभी 8. नाम क्या दूँ ? 9. तत्त्वमसि 10. शीशों का मसीहा कौन यहाँ? 11. मिला कोई नहीं मिलने 12. हमने कब डाले हथियार 13. जमीं पर हैं पटके 14. तुम कौन हो? कवितावली 1. सूरज निकलता नही 2. हार नही मानूँगा 3. क्या इस ब्यूह को तोड़ सकोगे 4. बैठे हैं तैयार 5. तुम्हारा क्या ? 6. यह कैसा जनतंत्र दोहावली 1. भाग एक 2. भाग दो खण्ड काव्य 1. चतुर्दिक नमन गज़लें 1. बिखरा हूँ मैं 2. संसार क्या जाने ? मुक्तकावली सम्मान : दलित साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा डॉ० अम्बेडकर फेलोशिप, डॉ० अम्बेडकर मेमोरियल ट्रस्ट अलीगढ़ द्वारा अन्तराष्ट्रीय भीम रत्न पुरस्कार, भारतीय बौध्द महासभा उ०प्र० द्वारा साहित्य एवं समाज के क्षेत्र में दी जाने वाली डॉ० अम्बेडकर फेलोशिप से सम्मानित, अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध I सम्पर्क सूत्र : इनोवेटिव पब्लिक स्कूल, निकट चौहानों की मिलक, मण्डी समिति रोड मुरादाबाद उ०प्र० पिन- 244001, मोब.न. 09997344811, 09897777499 Email ID:shilshasta1950@gmail.com

About book : संसार का हर जीव जानता है कि कुछ भी स्थायी नहीं हैं। पद,कद और वैभव इन सबकी भी अपनी हद है। आपके व्यक्तित्व कृतित्व और क्रिया कलापों से वह महक आनी चाहिए जो आप हैं। ऐसे व्यक्तियों से यदि ये प्रश्न किया जाएगा कि तुम कौन हो? तब उसका उत्तर मौन के अतिरिक्त दूसरा नहीं हो सकता। आपके शब्दों की गन्ध आपके आचार-विचार और व्यवहार को छूकर आने वाली हवा अपने आप दूसरे को इस बात का अहसास करा देती है कि आप क्या है? बस दूसरे की ग्राहयता इसको ग्रहण करने में समर्थ तो हो कि वह आपकी उपस्थिति को आत्मसात कर लें। काव्य का रस उसके भाव, भाषा, भंगिमा और गरिमा और भव्यता खोजी नहीं जाती आ जाती है। प्रकाश के निकट जा कर उससे लिपटने या चिपटने की जरूरत नहीं आप स्वतः प्रकाशित हो जायेगे उसके समीप जाकर ।

Customer Reviews


 

Book from same catalogue

Books From Same Author