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ISBN : 978-93-6087-991-4

Category : Academic

Catalogue : Reference

ID : SB20953

भोजन, फास्ट फूड और युवा पीढ़ी

NA

डाॅ. कामिनी जैन

Paperback

599.00

e Book

250.00

Pages : 262

Language : Hindi

PAPERBACK Price : 599.00

About Book

21 जुलाई राष्ट्रीय जंक फूड दिवस के रूप में मनाया जाता है। जंक फूड शब्द का उपयोग सबसे पहले 1972 में किया गया था। इसका उद्देश्य ज्यादा कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों की तरफ ध्यान आकृष्ट करना था। क्रैकर जैक को पहला जंक फूड होने का श्रेय दिया जाता है। क्रैकर जैक, गुड़, कारमेल, पापकार्न और मूंगफली का समूह है। जंक फूड की अवधारणा लगभग एक शताब्दी से अधिक समय से चली आ रही है। खाद्य पदार्थों को लोगों ने स्वीकार करना शुरू कर दिया। जंक फूड शब्द 1970 के दशक में उभरा जो लैरी ग्रोस गीत जंक फूड जंकी से लोकप्रिय हुआ। अगर हम अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते है तो हमें जंक फूड और फास्ट फूड का उपयोग कम करना होगा। हमें भोजन करने के उद्देश्य को समझना होगा। हमें भोजन स्वाद के लिए नहीं बल्कि स्वस्थ्य रहने के लिए करना होगा। पूरे संसार में जंक फूड और फास्ट फूड का उपयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जो भविष्य के लिए अच्छा नहीं है। सभी आयु वर्ग के लोग इन्हे खाना पसंद करते है और आमतौर पर वे अपने परिवार के साथ कुछ विषेष समय जैसे जन्मदिन, शादी की सालगिरह आदि का आनंद लेने के लिए इन्हे ही चुनते है। वे बाजार में उपलब्ध जंक फूड और फास्ट फूड की विभिन्न किस्मों जैसे - कोल्डड्रिंक, वेफर्स, चिप्स, नूडल्स, बर्गर, पिज्जा, फ्रेंच फ्राइस चाइनीस खाने आदि का उपयोग करते है। फास्ट फूड और जंक फूड एक नहीं होते इन दोनो में अंतर होता है। वैसे तो दोनो ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है लेकिन अगर किसी एक का चुनाव करना हो तो फास्ट फूड बेहतर है।


About Author

डाॅ. श्रीमती कामिनी जैन का जन्म होशंगाबाद म.प्र. वर्तमान में नर्मदापुरम के के नाम से जाना जाता है ने बी.एस.सी.गृहविज्ञान, एम.एस.सी. गृहविज्ञान, बी.एड एवं पी.एच.डी. की उपाधियाॅ प्राप्त की। इन्होने अपना शोध कार्य डाॅ. आई. एस. चैहान पूर्व उच्चायुक्त फिजी पूर्व कुलपति बरकतउल्ला विष्वविद्यालय भोपाल एवं भोज मुक्त विश्व विद्यालय भोपाल के निर्देशन में किया। डाॅ. जैन ने 1984 से अपनी शासकीय सेवाएँ सहायक प्राध्यापक पद से शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय नर्मदापुरम म.प्र. से प्रारंभ की। वर्तमान में स्नातकोत्तर प्राचार्य के पद पर शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय नर्मदापुरम म.प्र. में पदस्थ है। इनकी 38 से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। इनकी 50 बुकलेट, 112 प्रसार लेख एवं 100 से अधिक शोध उपाधियाॅ एवं लघु शोध निर्देषन 50, लगभग 200 से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन हो चुका है। इन्होने विश्व विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रदत्त 08 शोध परियोजनाओं एवं 09 राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद भोपाल द्वारा प्रदत्त शोध परियोजनाओं पर कार्य किया है। शोध के क्षेत्र में इनके योगदान को देखते हुए इन्हे रिसर्च लिंक स्वर्ण पदक, मदर टेरेसा अवार्ड, राजीव गांधी एजुकेशन एक्सीलेंस अवार्ड, बेस्ट प्रिंसीपल अवार्ड रिसर्च ऐज्यूकेषन द्वारा 05 सितम्बर 2022 में एवं शिक्षा-रत्न पुरस्कार प्रदान किये गये है। आयुक्त म.प्र. शासनष्उच्च शिक्षा विभाग द्वारा इन्हे सत्र 2012-13 में इनके कुशल नेतृत्व एवं शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता के लिए प्रयास के लिए प्रशंसा पत्र प्रदान किया गया है।

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