ISBN : 978-81-19084-15-9
Category : Academic
Catalogue : Reference
ID : SB20460
Paperback
699.00
e Book
299.00
Pages : 356
Language : Hindi
दो शब्द........... इस पुस्तक के लेखन का उद्देष्य जनसामान्य एवं विद्यार्थियों को देषीय औषधीय पौधों के महत्व के प्रति जागरूक करना है। कोरोनाकाल के पश्चात औषधियों के प्रति जन सामान्य का रूझान बढ़ा है इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएॅं भी बढ़ी हुई है। नवीन षिक्षा नीति में व्यवसायिक पाठ्यक्रम में औषधीय विषय को रखा गया है। जिसमें विद्यार्थियों ने रूचि प्रदर्षित की है। इस बात को ध्यान में रखकर ही पुस्तक का लेखन किया गया है। यह पुस्तक ना केवल विद्यार्थियों के लिए बल्कि औषधीय पौधों में रूचि रखने वाले लोगों के लिये भी उपयोगी होगी। इस पुस्तक में यह प्रयास किया गया है कि औषधीय पौधों के संबंध में सरल और व्यवस्थित जानकारी दी जा सके एवं औषधीय पौधों सें संबंधित सभी पहेलुओं को संक्षिप्त में सरल एवं व्यवस्थित उल्लेख हों। अशिक्षा अंधविश्वास रूढ़िवादी मान्यताओं परंपरा के परिणाम स्वरूप समाज में कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। जीवन में जटिलता बढ़ने के साथ-साथ स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि हुई है। औषधियों के बारे में जागरूक न होने के कारण इनका लाभ भी जन सामान्य नहीं ले पा रहे हैं। यह पुस्तक सामान्य स्वास्थ रक्षा के लिए देशी औषधि पौधों के प्रति जागरूकता से संबंधित है। औषधीय पौधों के उपयोग से विभिन्न बीमारियों के उपचार के बारे में स्थानीय एवं आदिवासी समाज के व्यक्तियों से देशज औषधियों के ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। पाचन संबंधी उपचार में वैज्ञानिक प्रमाणिकता के आधार पर देशज ज्ञान के बारे में पता लगाने के लिए औषधि विशेषज्ञों का मार्गदर्शन लिया गया है सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण औषधियों के प्रमाणित वैज्ञानिक ज्ञान के बारे में प्रलेख तैयार करने के लिए यह पुस्तक सहयोगी होगी। औषधीय पौधों को भोजन औषधि, खुषबू, स्वाद, रंजक और भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में अन्य मदों के रूप में उपयोग किया जाता है। ऐसे पौधे जिनके किसी भी भाग से दवाएॅ बनाई जाती है औषधीय पौधे कहलाते हैं। औषधीय पौधे कफ एवं वात का शमन करने, पीलिया, ऑव, हैजा, फेफडे़, अंडकोष, तंत्रिका विकार, पाचन, रक्त शोधक, ज्वर नाषक, स्मृति एवं बुद्धि का विकास करने मधुमेह, मलेरिया, एवं बलवर्धक, त्वचा रोगों एवं ज्वर आदि में लाभकारी हैं। देषी वनस्पति मिट्टी और नदी के किनारों की रक्षा के माध्यम से कटाव को न