अगस्त 2011 के अन्ना आंदोलन में हिन्दी समाचार चैनलों की भूमिका का प्रामाणिक दस्तावेज
About author : हर्षवर्धन पाण्डे वरिष्ठ पत्रकार, स्तम्भकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं। लेखन और पत्रकारिता में डेढ़ दशक से भी अधिक समय से जुड़े हैं। देश के प्रमुख राष्ट्रीय समाचार पत्र, पत्रिकाओं में लेखन के साथ ही विभिन्न टेलीविजन समाचार चैनलों में विश्लेषक के तौर पर प्रतिभाग कर रहे हैं। इसके साथ ही मीडिया शिक्षण से भी जुड़े हैं। सक्रिय पत्रकारिता के लिए लेखक को कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है
About book : भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में अहिंसावादी आंदोलन के प्रतीक पुरूष बने अन्ना हजारे ने अगस्त 2011 में अपने जनांदोलन द्वारा सत्ता के होश उड़ा दिये। अन्ना हजारे का आंदोलन 2011 में भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक नई सुबह लेकर आया। अन्ना हजारे से अपनी मजबूत इच्छाशक्ति और सत्याग्रह के आगे सरकार को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया। आज़ादी के बाद पूरे देश में हुआ अन्ना का आंदोलन कई मायनों जनता और राजनेताओं को सबक दे गया। शासन की राह आसान समझने वाले राजनेताओं के लिए जहां एक तरफ ये आंदोलन एक कड़ी चेतावनी लेकर आया तो वहीं जनता को भी पहली बार इस ताकत का अनुभव हुआ कि जनता की ताकत के आगे ‘तंत्र’ एक ना एक दिन नतमस्तक हो सकता है। जिस तरीके से लोगों का कारवां बढ़ -चढ़कर अन्ना के काफिले के साथ शहर- दर -शहर जुड़ा, उसने पहली बार राजनेताओं के लिए खतरे की घंटी बजा दी और लोकतंत्र में लोक के महत्व को बखूबी साबित कर दिखाया। अन्ना ने आम जनता के उबाल को एक तरह से प्लेटफार्म देने का काम किया। इस आंदोलन से अन्ना ने लोगों का दिल जीत लिया। टीवी समाचार चैनलों के माध्यम का आज तक किसी बड़े जनान्दोलन में उपयोग नहीं हुआ जैसा अन्ना की 2011 की अगस्त क्रांति में देखने को मिला । अन्ना के अनशन के 288 घंटे खबरिया चैनलों ने जिस तरीके से कवर किये उसकी मिसाल बहुत कम देखने को मिलती है। इस दौरान हिन्दी समाचार चैनलों के साथ ही अंग्रेजी समाचार चैनलों का वातावरण अन्नामय था । ऐसा पहली बार हुआ जब लोगों ने अन्ना आंदोलन के जरिए खुद को रामलीला मैदान से सीधे जुड़ा महसूस किया। इसका प्रभाव शहरों से कस्बों तक में दिखाई दिया जिसकी परिणति व्यापक जनसमर्थन से हुई। हिन्दी समाचार चैनलों ने भी टीआरपी के चलते अन्ना की अगस्त क्रान्ति को खूब भुनाया। अन्ना के आंदोलन की हर बदलती घटना को न्यूज चैनलों ने सीधे कवर किया जिससे जनता पल -पल की घटनाओं से सीधे रूबरू हुई । पूरे 288 घंटे समाचार चैनलों ने अन्ना से जुड़ी हर छोटी खबर को ब्रेकिंग न्यूज बनाने में देरी नहीं की। रामलीला मैदान में खबरों के नये आयाम जुड़ते जा रहे थे और चैनल अपनी पूरी उर्जा अन्ना को दिखाने में कवर करते जा रहे थे । जिस चैनल के पास जितना संसाधन था उसने सब रामलीला मैदान में लगा दिया। एक तरफ़ जहां एंकर पहली बार इस आंदोलन में देश की राजधानी दिल्ली के रामली