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ISBN : 978-81-19517-50-3
Category : Fiction
Catalogue : Poetry
ID : SB20686

मिला कोई नहीं मिलने

गीतावली

Dr. Chiranji Lal 'Chanchal'

Hardcase
350.00
e Book
150.00
Pages : 110
Language : Hindi
HARDCASE Price : 350.00

About author : नाम : डॉ० चिरंजी लाल ‘चंचल’ जन्म तिथि : 05-01-1950 पैत्रक निवास : मौहल्ला भूवरा, टाउन एरिया– मसवासी जनपद-रामपुर, उत्तर प्रदेश पिता का नाम : निर्वाण प्राप्त श्रध्देय कड़ढे लाल जी माता का नाम : निर्वाण प्राप्त श्रध्देया (श्रीमती ) मंगिया देवी जी शिक्षा : एम० ए० (हिन्दी, संस्कृत, दर्शनशास्त्र), बी० एड०, पी० एच० डी० कार्य क्षेत्र : सेवानिवृत प्रवक्ता, हिन्दी संस्कृत, सनातन धर्म इन्टर कालेज, रामपुर सम्प्रति : संस्थापक एवं प्रबन्धक, इनोवेटिव पब्लिक जूनियर हाई स्कूल, मुरादाबाद प्रकाशित कृतियाँ गीतावली 1. ऐसे न समर्पण कर दूँगा 2. कैसे न समर्पण कर दूँगा 3. तथाता 4. अथोsहम 5. तथात्वम 6. सम्मासती 7. अपने दीपक आप सभी 8. नाम क्या दूँ ? 9. तत्त्वमसि 10. शीशों का मसीहा कौन यहाँ? 11. मिला कोई नहीं मिलने कवितावली 1. सूरज निकलता नही 2. हार नही मानूँगा 3. क्या इस ब्यूह को तोड़ सकोगे 4. बैठे हैं तैयार 5. तुम्हारा क्या ? 6. यह कैसा जनतंत्र दोहावली 1. भाग एक 2. भाग दो खण्ड काव्य 1. चतुर्दिक नमन गज़लें 1. बिखरा हूँ मैं 2. संसार क्या जाने ? मुक्तकावली सम्मान : दलित साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा डॉ० अम्बेडकर फेलोशिप, डॉ० अम्बेडकर मेमोरियल ट्रस्ट अलीगढ़ द्वारा अन्तराष्ट्रीय भीम रत्न पुरस्कार, भारतीय बौध्द महासभा उ०प्र० द्वारा साहित्य एवं समाज के क्षेत्र में दी जाने वाली डॉ० अम्बेडकर फेलोशिप से सम्मानित, अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध I सम्पर्क सूत्र : इनोवेटिव पब्लिक स्कूल, निकट चौहानों की मिलक, मण्डी समिति रोड मुरादाबाद उ०प्र० पिन- 244001, मोब.न. 09997344811, 09897777499 Email ID: shilshasta1950@gmail.com

About book : ‘मिला कोई नहीं मिलने’ कृति की सारी रचनाएँ जीवन के साठ बसन्त पार कर लेने के बाद की रचनाएँ हैंI इनमें वे सारी अनुभूतियाँ सम्मिलित हैं जो किसी न किसी रूप से परिवार, समाज, संस्कृति और स्वानुभूत जीवनानुभवों से प्राप्त हुए उत्थानों-पतनों के प्रतिमानों से सम्बन्धित हैंI इन रचनाओं के माध्यम से जीवन को जी रहे जीवधारियों से अनेक तरह के विनीत निवेदन करते हुए अतियों और छोरों से बचने की अपेक्षा की गयी हैI हम नाखुदा है तो नाखुदा ही रहे I कभी खुदा बनने का प्रयास न करेंI ऐसा करेंगे तो उसके परिणामों के सुख-दुःख का उपभोग भी हमें ही करना होगाI कहीं-कहीं बिम्ब-विधान के माध्यम से और कहीं-कहीं बिना लाग लपेट के अपनी बात सीधे और सपाट रूप से कह दी गयी हैI

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