हीरामन
About book : "देह के सांकल में" समय, समाज और प्रेम का काव्य संग्रह है। तीनों के मध्य कवि त्रिशंकु और कवि मन हीरामन है। 2020 में पहला काव्य संग्रह "संवाद अभी जारी है" के बाद जीवन में जो भोगा उसका नहीं बल्कि मन में जो भोगा उस वेदना का साक्षात्कार है। बावजूद इसके समय, समाज और प्रेम में क्रमशः प्रतीक्षा, उम्मीद और विश्वास का वितान "देह के सांकल में" हीरामन हो गया है। इस संग्रह की अधिकांश कविताएँ रात की सीमा को पारकर करूणा की कालिमा में इस आशय में सृजित है कि एक न एक दिन भरोसे की सुबह होगी। समय, समाज के छद्म कुहेलिका को बेध कर शाश्वत प्रेम को वीरत्व प्रदान करेगा और प्रतीक्षा, उम्मीद के सहारे विश्वास को जीत दिलायेगी। क्योंकि यहां भय का नहीं भरोसे का संकल्प है। देह के सांकल में बंद हीरामन की मुक्ति का प्रश्न है। प्रतीक्षा, तपस्विनी, कोख में अंतरिक्ष, डूबा नहीं है यह नाव, रात, पहला सोमारी, गंगा के उस पार, प्रेम और परिबोध इसी वितान की कविता है। ऋषि रेणु, बीस साल बाद, चोरी पर कविता, बुढ़ा देवदार संग्रह का सेतु है। बाकी कुछ छोटे मुक्तक वेदना में व्याकुल मन का स्त्रोत।....
About author : डॉ. रणजीत कुमार "सनेही" माता : रंभा देवी पिता : उमा शंकर प्रसाद जन्म : 03/02/1987 जन्म स्थान : यमुनापुर, नूरसराय (नालन्दा) शिक्षा : स्नातक, स्नातकोत्तर (हिन्दी), गोल्ड मेडलिस्ट, यूजीसी : जे. आर. एफ., पी-एच.डी., बीएड, एसटेट। ज्ञान भूमि : नव नालन्दा महाविहार, नालन्दा रचनाएँ : संवाद अभी जारी है(काव्य संग्रह) हिन्दी दलित साहित्य और बौद्ध धर्म (शोध-ग्रंथ) मुक्तिबोध : तार सप्तक में कविता और वक्तव्य (आलोचनात्मक) स्तरीय पत्र- पत्रिकाओं में दस शोध-आलेख प्रकाशित राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रतिभागिता दैनिक पत्रों में दर्जनों कविता, चार कहानी, दो संस्मरण व एक यात्रा-वृतांत प्रकाशित। पुरस्कार : विश्वविद्यालय एवं राज्य स्तर पर पुरस्कृत रूचि : साहित्य, समाज व शिक्षा सेवा वर्तमान संप्रति : सहायक प्राध्यापक, हिन्दी सह राष्ट्रीय सेवा योजना, कार्यक्रम पदाधिकारी एच. आर. कॉलेज, अमनौर(सारण) जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा। पूर्व संप्रति : 10+2 सहायक शिक्षक, +2उ. वि., अजयपुर, नालन्दा