ISBN : 978-81-19517-98-5
Category : Fiction
Catalogue : Poetry
ID : SB20701
Paperback
250.00
e Book
100.00
Pages : 132
Language : Hindi
"देह के सांकल में" समय, समाज और प्रेम का काव्य संग्रह है। तीनों के मध्य कवि त्रिशंकु और कवि मन हीरामन है। 2020 में पहला काव्य संग्रह "संवाद अभी जारी है" के बाद जीवन में जो भोगा उसका नहीं बल्कि मन में जो भोगा उस वेदना का साक्षात्कार है। बावजूद इसके समय, समाज और प्रेम में क्रमशः प्रतीक्षा, उम्मीद और विश्वास का वितान "देह के सांकल में" हीरामन हो गया है। इस संग्रह की अधिकांश कविताएँ रात की सीमा को पारकर करूणा की कालिमा में इस आशय में सृजित है कि एक न एक दिन भरोसे की सुबह होगी। समय, समाज के छद्म कुहेलिका को बेध कर शाश्वत प्रेम को वीरत्व प्रदान करेगा और प्रतीक्षा, उम्मीद के सहारे विश्वास को जीत दिलायेगी। क्योंकि यहां भय का नहीं भरोसे का संकल्प है। देह के सांकल में बंद हीरामन की मुक्ति का प्रश्न है। प्रतीक्षा, तपस्विनी, कोख में अंतरिक्ष, डूबा नहीं है यह नाव, रात, पहला सोमारी, गंगा के उस पार, प्रेम और परिबोध इसी वितान की कविता है। ऋषि रेणु, बीस साल बाद, चोरी पर कविता, बुढ़ा देवदार संग्रह का सेतु है। बाकी कुछ छोटे मुक्तक वेदना में व्याकुल मन का स्त्रोत।....