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ISBN : 978-93-95362-25-2

Category : Fiction

Catalogue : Poetry

ID : SB20347

yugdhara

na

Mishri Lal Meena

Paperback

150.00

e Book

80.00

Pages : 103

Language : Hindi

PAPERBACK Price : 150.00

About Book

दो शब्द प्रात :कालीन वेला में सरस्वती वंदना के बाद जो शब्द प्रस्फुरित होते हैं कविता या गीत होते हैं। प्रस्तुत कृति " युग - धारा" ने जितनी भी कविताएं वे सब स्वत: फूर्त या अनायास मुंह से निकली हुई ऐसी कविताएं हैं , जिन्हें जी कर लिखा गया है। शब्दों का अनायास बाहर निकलना और उनको कागज पर समेटना ही या उन्हें प पृष्ठ- भूमि प्रदान करना कवि का धर्म एवं कर्म दोनों है। इस काव्य संग्रह में भी जैसे स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी जी नृसंश हत्या के बाद जो शब्द या चौधरी चरण सिंह जी के है देहावसान पर जो अनायास शब्द मुंह से निकले , या कहूं के श्री अटल बिहारी वाजपेई जी के शोक समाचार पर जो शब्द मुंह से निकले वो शब्द अनायास निकले और एक जीवंत कविता दे गए । कवि हमेशा किसी सोच में या किसी कार्य में प्रवृत्त रहता है ।मैं भी वही हूं । इस काव्य संग्रह में मैंने वह सब कुछ लिखा है जो हर वर्ग ,हर जाति, हर धर्म, देश में ,विदेश में ,राज्य में, समाज में व्याप्त है । और जिसके अनुसरण से सर्वश्रेष्ठ समाज, सर्वश्रेष्ठ राज्य ,सबसे देश ,एक महान विश्व की कल्पना की जा सकती है। कुछ कविताएं हल्के-फुल्के अंदाज में भी हैं और कुछ गहरी सोच की हैं। हर आयु वर्ग को और विशेषकर महिलाओं को आवाज की जरूरत होती है जो यहां मुखरित है ।वह तो सुधि पाठक बताएंगे प्रयास किया उसमें मैं कितना सफल रहा हूं। मैंने सहित्यागार, जयपुर प्रकाशित नाटक"उदयन" में राज्य के राजा द्वारा किए गए शोषण और अत्याचारों से पीड़ित जनता का राज्य से सामूहिक पलायन और फिर राजा का जनता के सामने प्रत्यर्पण, बीएफसी , लखनऊ से हाल ही में प्रकाशित "उबड खाबड़ आदमी " में सर्वसरोकर की कविताओं के साथ गीत और ग़ज़लों की एक बेहतरीन तरीके से संग्रहित की हैं। इस कृति में आदर्श समाज, विश्व बंधुत्व और परमाणु विहीन विश्व की परिकल्पना की है। राजभाषा समारोह, गणतंत्र दिवस की कविताएं भी इस संग्रह में प्रकाशित की जा रही हैं। युवा और महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए भी कुछ कविताएं यहां उपलब्ध हैं। इस कलाकृति को मूर्त रूप देने में श्री हेतराम, सहायक प्रबंधक , अलंकृत इंटरप्राइजेज ,जयपुर, का बहुत योगदान रहा है जिसका मैं बहुत आभारी हूं। मैं इस पुस्तक के प्रकाशक प्रकाशक साश्वत पब्लिकेशन, बिलासपुर ,छत्तीसगढ़ , का विशेष रुप से आभारी


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