प्रसवपूर्व एवं प्रसवोत्तर स्वास्थ्य स्थिति
About book : “जनजातीय महिला : प्रसवपूर्व एवं प्रसवोत्तर स्वास्थ्य स्थिति” यह पुस्तक जनजातीय महिलाओं की प्रजनन स्वास्थ्य स्थिति को प्रस्तुत करती हैं। इसमें महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले की आदिवासी महिलाओं पर अध्ययन करके प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर स्वास्थ्य के महत्व को समझाया हैं। इस पुस्तक में जनजातीय समुदाय की विशेषताएँ, उनकी स्वास्थ्य स्थिति, मातृ मृत्यु दर, बाल मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, संस्थागत प्रसव के साथ-साथ प्रसवपूर्व एवं प्रसव पश्चात प्रदान की जानेवाली स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति का विश्लेषण किया गया हैं। साथ ही, प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में महिलाओं के सामने आनेवाली कठिनाइयों और सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों का अध्ययन किया गया हैं। इसमे जनजातीय महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य में सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली की भूमिका भी स्पष्ट की गई। अंततः, जनजातीय महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार लाने तथा इस संबंध में प्रभावी नीतियों के क्रियान्वयन के लिए उपाय सुझाए हैं। यह पुस्तक एक लघु शोध परियोजना पर आधारित हैं, जो भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित हैं।
About author : डॉ. ए. एन. कर्डीले ने डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, छत्रपति संभाजीनगर से पीएचडी और सामाजिक कार्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की हैं। वर्तमान में वह जवाहरलाल नेहरू कॉलेज ऑफ सोशल वर्क एंड रिसर्च सेंटर, सिडको, नवीन नांदेड़ में पिछले 11 वर्षों से सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। इससे पहले, उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के संस्थान यशवंतराव चव्हाण विकास प्रशासन अकादमी (यशदा), पुणे में परियोजना समन्वयक (अनुसंधान सहायक) के रूप में काम किया हैं। उन्होंने भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित एक लघु शोध परियोजना भी पूरी की हैं। डॉ. कर्डीले की दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने अब तक विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में 10 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। वह अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय सम्मेलनों में सक्रिय रूप से शामिल रहते हैं। उन्हें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास से एसपीओसी, एक्टिव लोकल चैप्टर पुरस्कार से सम्मानित किया गया हैं।