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ISBN : 978-81-19084-18-0

Category : Fiction

Catalogue : Story

ID : SB20463

तमाशबीन कहानियां

Na

देवराज दीपक उर्फ बिनय कुमार

Paperback

350.00

e Book

149.00

Pages : 198

Language : Hindi

PAPERBACK Price : 350.00

About Book

फिल्मों के लिए लिखी गयी कहानियां जो दृश्य पटल पर नहीं आ सकी


About Author

मैं देवराज दीपक उर्फ बिनय कुमार अवकाश प्राप्त बिजली अभियंता स्कूल में पढने के समय से ही कहानी लिखने का जूनून हावी हो गया था. जब भी कोई फिल्म देख कर आता, तो उसपर अपने दोस्तों के साथ काफी टीका टिप्पणी करता. मेरे टिप्पणियों से परेशान हो कर वो कहने लगे कि जब तुम फिल्म पर इतना नुक्ताचीनी करते हो तो खुद कहानी क्यों नहीं लिखते हो ताकि उसमें कोई नुक्स नहीं रहे. यह बात मुझे घर कर गयी. मैने लिखना शुरू किया. लिखने के कारण पढाई पर कम ध्यान देने लगा. मै अपने क्लास में हमेशा प्रथम आया करता था. मगर लिखने के कारण पढाई पर कम ध्यान देने लगा. मेरे नम्बर कम आने लगे. मेरी चोरी पकडी गयी. मुझे कहानी लिखने से मना किया गया और पाठय पुस्तकें पर ध्यान देने को कहा गया. इसके बाद स्कूल से लेकर कॉलेज तक मै लिखना लगभग भूल गया. नौकरी के दिनों में कभी कभी कुछ कहानियां लिखा करता था. मगर वह पन्ने में ही सिमट कर रह जाता था. अवकाश प्राप्त करने के बाद मैं पुणे में कादरी प्रोडक्शन हाउस से जूड गया. जिन्होंने टी वी सिरियल बनाने के लिए मेरी कहानी नजारे भ्रष्टचारियों के को चुना. इसपर पांच इपिसोड का शूट भी पुरा हुआ. मगर अर्थ के अभाव सिरियल बन नहीं सका. इसके बाद कुछ कहानियां लेकर मुम्बई भो गया. मगर काम नहीं बन सका. अंत में इन कहानियों को पुस्तक में प्रकाशित करने के लिए भेज रहा हूं.

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