ISBN : 978-81-19281-02-2
Category : Fiction
Catalogue : Poetry
ID : SB20546
Paperback
250.00
e Book
150.00
Pages : 108
Language : Hindi
दो शब्द : प्रस्तुत रचना"रंग-विरंगी दुनिया" नामक कविता संग्रह में पंचतत्व से उत्पन्न होने वाले जीव जंतुओं पर दुनिया की भौतिक क्रियाएं, उससे संबंधित सुख, दुःख, रंगीन दुनिया की विभिन्न ऋतुएं, दुनिया के मूल स्तंभ मां, पिताजी, प्रियतमा तथा उनके द्वारा अगली पीढ़ी को दिये गये मानवीय संस्कार, करुणा, दया, सहयोग, धैर्य, समय का महत्व, आन्तरिक प्रकाश, मन का शुद्धिकरण, आत्म विश्लेषण, जीवन की भाग-दौड़, आशा की किरणें, स्वतंत्रता, नारी का नया परिवेश, आशीर्वाद एवं अभिशाप का प्रभाव, आदर्श जीवन, खुशियों की खोज,मन की चंचलता आदि पर कविताओं का सृजन किया गया है। आधुनिक समाज में फैले भ्रष्टाचार, मद्यपान, माया-मोह की लीला, आधुनिक ठग, साइबर क्राइम जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर कविताओं द्वारा भोली-भाली जनता को जागरूक करने का प्रयास किया गया है।अंत में औद्योगिक क्रांति, विज्ञान तथा उससे उत्पन्न सामाजिक असंतुलन तथा नैतिक मूल्यों का पतन पर प्रकाश डाला गया है। आशा है कि प्रस्तुत कविता संग्रह के माध्यम से पाठकगणों में"वसुधैव कुटुंबकम्"की भावना का उदय होगा तथा अपनी सांस्कृतिक विरासत को पहचानने में उन्हें यह रचना उपयोगी सिद्ध होगी। आदरणीय पाठकों से निवेदन है कि इस पुस्तक के साथ-साथ "प्रकृति के रंग -जीवन के संग"नामक कविता संग्रह का भी अध्ययन अवश्य करें। निश्चित ही इन रचनाओं द्वारा सद्गुणों का विकास होगा एवं सुंदर चरित्र का निर्माण होगा तथा बुद्धि के साथ-साथ विवेक का भी प्रादुर्भाव होगा। रचना को और अधिक उपयोगी बनाने हेतु आदरणीय पाठकों के सुझाव सादर आमंत्रित हैं। तामेश्वर प्रसाद उपाध्याय