ISBN : 978-93-6087-419-3
Category : Non Fiction
Catalogue : Novel
ID : SB20904
Paperback
550.00
e Book
250.00
Pages : 342
Language : Hindi
कहते हैं कि मनुष्य के दृढ़-निश्चय के समक्ष कुछ भी असंभव नही होता । जब कोई मनुष्य संकल्पित होकर किसी काम का बीड़ा उठाता है, तब दैवीय-शक्तियों को भी उसकी सहायता के लिए स्वयं उसके पास आना पड़ता है और तब उसका जुनून और उसका जज्बा भी उसे हिम्मत प्रदान करता है । "पीढ़ी नई, संघर्ष वही" एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो आत्म-विश्वास से भरपूर और आशावादी स्वभाव का था । उसने अपने पूर्वजों के खोए सम्मान को पुनः प्राप्त करने का जो सपना देखा था, उसे वह अपने जीवन के रहते पूरा नही कर पाया, लेकिन पंचतत्व में विलीन होने से पहले उसने अपना वह अधूरा सपना पूरा करने के लिए अपने सुपुत्र को हस्तांतरित कर दिया था । मूलक का जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था, लेकिन अंग्रेजी साम्राज्यवाद की कठोर नीतियों व विपरीत परिस्थितियों के चलते वह समाज से पिछड़ गया । मूलक ने अपने जीवन में न केवल अनेक तरह के दुःख झेले बल्कि समाज ने भी उसका बहिष्कार कर दिया था । उसके बावजूद भी मूलक को न तो किसी से कोई शिकायत थी और न ही किसी के प्रति कोई दुर्भावना थी । उसका संकल्प कितना दृढ़ था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसका शरीर पंचतत्व में विलीन होने के बाद भी उसकी आत्मा इसी लोक में भटकती रही । उसके सुपुत्र ने उसके सपने को पूरा करने के लिए खूब संघर्ष किया, उसके बाद उसके पोते ने और फिर परपोते ने । उसकी आत्मा तब तक अपने वंशजों के इर्द-गिर्द भटकती रही, जब तक उसका वह सपना पूरा नही हो गया । उसे भरोसा था कि एक न एक दिन उसका कोई वंशज उसके सपने को अवश्य ही पूरा करेगा । एक सदी और चार पीढ़ियों का संघर्ष उसके संकल्प रूपी हवन में स्वाहा होने के उपरांत उसकी चौथी पीढ़ी में जन्मे उसके परपोते ने उसके सपने को पूरा किया । आत्म-विश्वास और धैर्य वे शक्तियां हैं, जो एक साधारण मनुष्य को भी समाज में सफल व लोकप्रिय बना देती है । "पीढी नई, संघर्ष वही" पुस्तक में मूलक व उसकी भावी पीढ़ियों के संघर्ष का विस्तार से चरित्र चित्रण किया गया है ।