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ISBN : 978-93-6087-419-3
Category : Non Fiction
Catalogue : Novel
ID : SB20904

पीढ़ी नई संघर्ष वही

धैर्य और संघर्ष की एक सच्ची कहानी

मीना कुमारी

Paperback
550.00
e Book
250.00
Pages : 342
Language : Hindi
PAPERBACK Price : 550.00

About author : मीना कुमारी का जन्म 15 अप्रैल 1977 को हरियाणा प्रांत के एक साधारण परिवार में हुआ था । पांच भाई-बहनों में ये सबसे बड़ी हैं । इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की । ततपश्चात स्नातक की शिक्षा दिल्ली विश्वविधालय व स्नातकोत्तर (हिन्दी) कुरुक्षेत्र विश्वविधालय से ग्रहण की । इसके अतिरिक्त इन्होंने बी.एड. चौ. चरण सिंह विश्वविधालय, मेरठ से पास किया । वर्तमान में ये रायन इंटरनेशनल स्कूल, दिल्ली के प्रशासन विभाग में सेवारत हैं । बचपन से ही सनातन-संस्कृति के प्रति इनकी गहरी रुचि रही है । इन्होंने अपनी पहली पुस्तक "जन्म से विवाह तक" के माध्यम से तथ्यों पर आधारित भारतीय रीति-रिवाजों, परंपराओं व सनातन-संस्कृति के आदर्शों और मूल्यों के महत्व का विस्तार से वर्णन किया है । निश्चित ही इनकी नई पुस्तक "पीढी नई, संघर्ष वही" प्रत्येक पाठक के लिए अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में कारगर साबित होगी  जय भगवान शर्मा का जन्म 4 जून 1957 को सोनीपत हरियाणा के गांव खेवड़ा में एक साधारण परिवार में हुआ था । इनके पिता किताबों की एक बड़ी दुकान पर पेकिंग का काम करते थे और माता एक गृहिणी थी । इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से पूरी हुई । इन्होंने अपनी स्नातक की शिक्षा कुरुक्षेत्र विश्वविधालय से ग्रहण की । तत्पश्चात् इनकी नियुक्ति अखिल भारतीय परीक्षा बोर्ड, दिल्ली में हो गई थी । खाली समय में अखबार के संपादकीय लेख व किताबें पढ़ने में इनकी गहरी रुचि थी । इसके अतिरिक्त समाचार पत्र व पत्रिकाओं के लिए लेख और कहानी लिखने में हमेशा से इनकी रुचि रही है, इन्होंने अपनी सत्यनिष्ठा व कठोर परिश्रम के बलबूते अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाई जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान में इनके बच्चे न केवल सफल व सुशिक्षित हैं बल्कि सभी ने अपने अपने क्षेत्र में शिक्षा के सर्वोच्च शिखर को छुआ है ।

About book : कहते हैं कि मनुष्य के दृढ़-निश्चय के समक्ष कुछ भी असंभव नही होता । जब कोई मनुष्य संकल्पित होकर किसी काम का बीड़ा उठाता है, तब दैवीय-शक्तियों को भी उसकी सहायता के लिए स्वयं उसके पास आना पड़ता है और तब उसका जुनून और उसका जज्बा भी उसे हिम्मत प्रदान करता है । "पीढ़ी नई, संघर्ष वही" एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो आत्म-विश्वास से भरपूर और आशावादी स्वभाव का था । उसने अपने पूर्वजों के खोए सम्मान को पुनः प्राप्त करने का जो सपना देखा था, उसे वह अपने जीवन के रहते पूरा नही कर पाया, लेकिन पंचतत्व में विलीन होने से पहले उसने अपना वह अधूरा सपना पूरा करने के लिए अपने सुपुत्र को हस्तांतरित कर दिया था । मूलक का जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था, लेकिन अंग्रेजी साम्राज्यवाद की कठोर नीतियों व विपरीत परिस्थितियों के चलते वह समाज से पिछड़ गया । मूलक ने अपने जीवन में न केवल अनेक तरह के दुःख झेले बल्कि समाज ने भी उसका बहिष्कार कर दिया था । उसके बावजूद भी मूलक को न तो किसी से कोई शिकायत थी और न ही किसी के प्रति कोई दुर्भावना थी । उसका संकल्प कितना दृढ़ था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसका शरीर पंचतत्व में विलीन होने के बाद भी उसकी आत्मा इसी लोक में भटकती रही । उसके सुपुत्र ने उसके सपने को पूरा करने के लिए खूब संघर्ष किया, उसके बाद उसके पोते ने और फिर परपोते ने । उसकी आत्मा तब तक अपने वंशजों के इर्द-गिर्द भटकती रही, जब तक उसका वह सपना पूरा नही हो गया । उसे भरोसा था कि एक न एक दिन उसका कोई वंशज उसके सपने को अवश्य ही पूरा करेगा । एक सदी और चार पीढ़ियों का संघर्ष उसके संकल्प रूपी हवन में स्वाहा होने के उपरांत उसकी चौथी पीढ़ी में जन्मे उसके परपोते ने उसके सपने को पूरा किया । आत्म-विश्वास और धैर्य वे शक्तियां हैं, जो एक साधारण मनुष्य को भी समाज में सफल व लोकप्रिय बना देती है । "पीढी नई, संघर्ष वही" पुस्तक में मूलक व उसकी भावी पीढ़ियों के संघर्ष का विस्तार से चरित्र चित्रण किया गया है ।

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