ISBN : 978-81-19084-56-2
Category : Academic
Catalogue : Reference
ID : SB20504
Hardcase
1500.00
e Book
250.00
Pages : 228
Language : Hindi
बाबा साहेब भीमराव अम्बेदकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर द्वारा पी-एच0 डी0 की उपाधि के लिए स्वीकृत इस शोध-प्रबन्ध में दाम्पत्य जीवन की झाँकी प्रस्तुत की गई है। जैसे-जैसे सभ्यता का विकास होता गया है वैसे-वैसे दाम्पत्य जीवन में भी बदलाव आता गया है। आधुनिक दाम्पत्य जीवन पर वैज्ञानिक आविष्कारों तथा मनोविज्ञान का भी प्रभाव पड़ा है। आज संयुक्त परिवार टूट रहा है और वैयक्तिक परिवार बनता जा रहा है। आर्थिक स्थिति एवं शिक्षा का प्रभाव भी दाम्पत्य जीवन पर पड़ा है। इस शोध-प्रबन्ध के अन्तर्गत दाम्पत्य प्रेम की प्रस्तुती के साथ-साथ प्रेम के अन्य रूपों की भी चर्चा की गई है। प्रेम एक ऐसा भाव है जिसकी सही-सही परिभाषा आजतक नहीं बन पाई है। प्रेम किया नहीं जाता, वह तो अचानक हो जाता है और कैसे हो जाता है, इसका पता न तो प्रेमी-प्रेमिका को चल पाता है और न दम्पति को ही। प्रेम के रहस्य को आजतक ठीक से कोई भी नहीं जान सका। इसीलिए कतिपय विद्वानों की दृष्टि में प्रेम ही ईश्वर है और ईश्वर ही प्रेम है। इस शोध-प्रबन्ध के अन्तर्गत दाम्पत्य प्रेम की व्यंजना यथार्थ के धरातल पर की गई है। इसीलिए इसमें ‘सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम्’ का स्वतः ही समावेश हो गया है। इसमें दाम्पत्य प्रेम से संबंधित ऐसी-ऐसी जानकारी दी गई है जिससे प्रायः लोग अपरिचित है। यह शोध-प्रबन्ध विद्वानों के लिए लाभप्रद तो है ही, शोधार्थियों के लिए भी उपयोगी है।