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ISBN : 978-93-6087-895-5
Category : Academic
Catalogue : Life Style
ID : SB20889

स्वस्थ, समृद्ध और खुशहाल जीवन के साथ

सौ साल जिएं
 5.0

'दिव्यदर्शी' एस. पी. ध्यानी 'Divyadarshi' S. P. Dhyani

Paperback
299.00
e Book
199.00
Pages : 142
Language : Hindi
PAPERBACK Price : 299.00

About author : इस पुस्तक के लेखक ‘दिव्यदर्शी’ एस0 पी0 ध्यानी एक लेखक, सम्पादक, वक्ता और लाइफ कोच हैं। उन्हें धर्म, दर्शन, अध्यात्म, संस्कृति के जानकार और एक प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उन्हे जीवन प्रशिक्षक के रूप में 'इनर लाइफ इंजीनियर' कहा जाता है। उन्होने एक लाईफ कोच और प्रेरक वक्ता के रूप में स्कूलों, कॉलेजों और युनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं और सामाज के हर एक आयु वर्ग के लोगों के जीवन में सकारात्मक चेतना के जागरण की दिशा में कार्य करने का महान संकल्प एक मिशन के रूप में अपने हाथों में लिया है। श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग ट्रस्ट गुजरात द्वारा उन्हें भारतीय वेद विद्या के माध्यम से लोगों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए और धर्म, दर्शन, अध्यात्म, संस्कृति में उनकी विद्वता को देखते हुए उन्हे एक लाख रुपये की राशि और ‘श्री सोमनाथ स्वर्णचन्द्रक ‘गोल्डमेडल’ से सम्मानित किया है। उत्तराखण्ड राज्य के राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह (से.नि.) ने लेखक के राष्ट्र प्रेरित विचारों, भारतीय धर्म, दर्शन, आध्यात्म, शिक्षा, संस्कृति और जीवन प्रबंधन के प्रति एक अन्तर्दृष्टि को देखते हुए उन्हें सलाहकार के रूप में नियुक्त किया और सुशासन को बढ़ावा देने के लिए ‘ सुशासन प्रसंशापत्र’ और ‘प्रशस्तिपत्र’ से सम्मानित किया। लेखक को उत्तराखण्ड राज्य में हजारों लोगों को प्रशिक्षण और प्रेरणा देने तथा 12 पाठ्यपुस्तकों के लेखन में योगदान देने के लिए राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह (से.नि.) के करकमलों से ‘एफएम उत्तराखण्ड एडुकेटर अवार्ड’ भी प्राप्त हुआ है। लेखक ने अपने मार्गदर्शी प्रेरणादायी कार्यों से ऐसे अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान अर्जित किये हैं। ‘दिव्यदर्शी’ एसपी ध्यानी जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिये को विकसित करने के लिए लोगों को प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं। उन्होनें भारतीय ज्ञान प्रणाली के माध्यम से लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने का एक बड़ा मिशन हाथ में लिया है। उन्होंने हिमालय में एक विशाल ‘वेलनेस और हैप्पीनेस सेंटर’ की स्थापना के लिए कार्य करना शुरू कर दिया है, जो भारतीय वैदिक विद्याओं के माध्यम से लोगों के जीवन में रूपान्तरण का एक प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में कार्य करेगा। उनका मिशन असंख्य लोगों को लम्बी आयु के साथ सुखी, समृद्ध और खुशहाल जीवन जीने की कला को सिखाना है। शरीर, मन और आत्मा क

About book : व्यक्ति के विचारों की शक्ति, शरीर की सक्रियता और आत्मा की व्यापकता के महत्व के साथ जीवन को सौ सालों तक स्वस्थ, सुखी, समृद्ध और खुशहाल जीवन जीने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए इस पुस्तक को डिज़ाइन किया गया है। मनुष्य अपनी अच्छी आदतें विकसित कर सकता है और अपनी बुरी आदतों से छुटकारा भी पा सकता है। यह मार्ग उसे सौ सालों की लम्बी उम्र तक स्वस्थ, सुखी और खुशहाली के साथ जीने की ओर ले जाता है। यह पुस्तक इस दिशा में एक प्रेरणा है, जो जीवनशैली की आदतों, खानपान, दिनचर्या, सोच-विचार, चिन्तन और धारणाओं के साथ हमारे परिवेश, वातावरण और सम्बन्धों को एक सुनिश्चित और सुदृढ़ आकार देती है। इस धरती पर मनुष्य के रूप में जीवन प्रकृति का सबसे बड़ा उपहार है, जब ईश्वर नें मनुष्य को एक लम्बा जीवन जीने के लिए दिया है तो फिर असंख्य मनुष्य अपने इस लम्बे जीवन को असमय ही क्यों खो रहे हैं, अधिकांश लोग जीवन में स्वस्थ, सुखी, समृद्ध और खुशहाल क्यों नहीं हैं? जीवन के इस प्रश्न की खोज नें लेखक को इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा दी। पूर्ण ऊर्जा, चेतना और क्षमता के साथ असीमित जीवन को जीने की कला सभी के अन्दर निहित है किन्तु हर कोई इसे नहीं जानता। इस पुस्तक में लेखक नें स्वस्थ, सुखी, समृद्ध और खुशहाल जीवन जीने के लिए शरीर, मन और आत्मा के स्तर पर चिन्तन की एक गहन पद्धति का अनावरण किया है। मनुष्य अपनी गलत आदतों की कठोर जंजीरों से जकड़ा है जो मनुष्य को मनचाहे स्वास्थ, मनचाही खुशहाली और मनचाही समृद्धि से वंचित रखती हैं, लेकिन जैसे ही मनुष्य अपनी गलत आदतों की जंजीरों की जकड़न से स्वयं को मुक्त करते हुए अपनी चेतना के जागरण के साथ एक सही राह पर चलना शुरू कर लेता है उसी क्षण उसके लिए स्वस्थ, सुखी, समृद्ध और खुशहाल जीवन के द्वार उद्धाटित होने लगते हैं और मनुष्य मन चाही खुशहाली स्वास्थ्य और समृद्धि अर्जित करने लगता है। इस खूबसूरत दुनियां में इस धरती के सबसे महत्वपूर्ण प्राणि के रूप में मनुष्य को इस ब्रह्माण्ड का सबसे शक्तिशाली, बुद्धिमान और अनोखा जीवन मिला है, इस लिए अपने इस अनमोल जीवन को सौ सालों तक संवार कर रखना हर एक की जिम्मेदारी है। यह जो जीवन मिला है इसे सौ सालों तक स्वस्थ, सुखी, समृद्धि एवं खुशहाली के साथ जीना सीखना इस पुस्तक और इस पुस्तक के लेखक का सबसे बड़ा उद्देश्य है। लेखक नें एक आत्मिक वैज्ञा

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