ISBN : 978-93-6087-895-5
Category : Academic
Catalogue : Life Style
ID : SB20889
5.0
Paperback
299.00
e Book
199.00
Pages : 142
Language : Hindi
व्यक्ति के विचारों की शक्ति, शरीर की सक्रियता और आत्मा की व्यापकता के महत्व के साथ जीवन को सौ सालों तक स्वस्थ, सुखी, समृद्ध और खुशहाल जीवन जीने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए इस पुस्तक को डिज़ाइन किया गया है। मनुष्य अपनी अच्छी आदतें विकसित कर सकता है और अपनी बुरी आदतों से छुटकारा भी पा सकता है। यह मार्ग उसे सौ सालों की लम्बी उम्र तक स्वस्थ, सुखी और खुशहाली के साथ जीने की ओर ले जाता है। यह पुस्तक इस दिशा में एक प्रेरणा है, जो जीवनशैली की आदतों, खानपान, दिनचर्या, सोच-विचार, चिन्तन और धारणाओं के साथ हमारे परिवेश, वातावरण और सम्बन्धों को एक सुनिश्चित और सुदृढ़ आकार देती है। इस धरती पर मनुष्य के रूप में जीवन प्रकृति का सबसे बड़ा उपहार है, जब ईश्वर नें मनुष्य को एक लम्बा जीवन जीने के लिए दिया है तो फिर असंख्य मनुष्य अपने इस लम्बे जीवन को असमय ही क्यों खो रहे हैं, अधिकांश लोग जीवन में स्वस्थ, सुखी, समृद्ध और खुशहाल क्यों नहीं हैं? जीवन के इस प्रश्न की खोज नें लेखक को इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा दी। पूर्ण ऊर्जा, चेतना और क्षमता के साथ असीमित जीवन को जीने की कला सभी के अन्दर निहित है किन्तु हर कोई इसे नहीं जानता। इस पुस्तक में लेखक नें स्वस्थ, सुखी, समृद्ध और खुशहाल जीवन जीने के लिए शरीर, मन और आत्मा के स्तर पर चिन्तन की एक गहन पद्धति का अनावरण किया है। मनुष्य अपनी गलत आदतों की कठोर जंजीरों से जकड़ा है जो मनुष्य को मनचाहे स्वास्थ, मनचाही खुशहाली और मनचाही समृद्धि से वंचित रखती हैं, लेकिन जैसे ही मनुष्य अपनी गलत आदतों की जंजीरों की जकड़न से स्वयं को मुक्त करते हुए अपनी चेतना के जागरण के साथ एक सही राह पर चलना शुरू कर लेता है उसी क्षण उसके लिए स्वस्थ, सुखी, समृद्ध और खुशहाल जीवन के द्वार उद्धाटित होने लगते हैं और मनुष्य मन चाही खुशहाली स्वास्थ्य और समृद्धि अर्जित करने लगता है। इस खूबसूरत दुनियां में इस धरती के सबसे महत्वपूर्ण प्राणि के रूप में मनुष्य को इस ब्रह्माण्ड का सबसे शक्तिशाली, बुद्धिमान और अनोखा जीवन मिला है, इस लिए अपने इस अनमोल जीवन को सौ सालों तक संवार कर रखना हर एक की जिम्मेदारी है। यह जो जीवन मिला है इसे सौ सालों तक स्वस्थ, सुखी, समृद्धि एवं खुशहाली के साथ जीना सीखना इस पुस्तक और इस पुस्तक के लेखक का सबसे बड़ा उद्देश्य है। लेखक नें एक आत्मिक वैज्ञा