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ISBN : 978-81-19084-49-4
Category : Academic
Catalogue : Reference
ID : SB20481

शिक्षा प्रबन्धन एवं प्रशासन

Na

Prof. (Dr.) J.S. Bhardwaj, Dr. L.K. Arya

Paperback
399.00
e Book
150.00
Pages : 151
Language : Hindi
PAPERBACK Price : 399.00

About author : प्रोफेसर (डॉ.) जे. एस. भारद्वाज जन्म उत्तर प्रदेष जनपद बुलन्दषहर के एक छोटे से गाँव औलीना में हुआ है, शिक्षा विभाग, चौ. चरण सिंह विष्वविद्यालय मेरठ (उ.प्र.) में कार्यरत हैं। उनको 26 वर्ष का शिक्षण एवम् शोध का अनुभव है। विष्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में दो बार विभागध्यक्ष के पद के दायित्वों का निर्वहन किया है। शिक्षा संकाय के संकाय अधिष्ठाता रहे हैं। 58 शोध पत्र राष्ट्रीय तथा अन्तराष्ट्रीय पत्रिकाओं के प्रकाषित हो चुके हैं। 08 प्रमापीकृत शोध उपकरणों (त्मेमंतबी ज्ववसे) का निर्माण एवम् प्रकाषन हो चुका है। शिक्षा के क्षेत्र में अर्न्तराष्ट्रीय अवार्ड वर्ष 2018 में प्राप्त हुआ है। 60 एम फिल. तथा 135 एम.एड़. के छात्र/छात्राओं के लघु शोध ग्रन्थ का निर्देषन करने का अनुभव प्राप्त है। 10 विद्यार्थियों की पी एच डी की उपाधि उनके शोध निर्देषन में पूर्ण हो चुकी है। लगभग 150 सेमीनार/वर्कषॉप/फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम में सक्रिय सहभागिता तथा रिसोर्स परषन के रूप में योगदान रहा है। इनके निर्देषन में दो छात्र पोस्ट डाक्टरल फेलो तथा एक छात्र सीनियर रिसर्च फेलो का कार्य पूर्ण कर चुके हैं। विभिन्न विषयों में 8 पुस्तकों के लेखन का कार्य पूर्ण किया है। विभिन्न चयन आयोगों में विषय विषेषज्ञ के रूप में कार्य कर चुके हैं। शोध पत्रिकाओं के परामर्ष मण्डल के सदस्य भी हैं। इसके अतिरिक्ति समाज सेवा के कार्यो में सक्रिय योगदान रहता है। डॉ0 ललित कुमार आर्य, जन्म उ. प्र. जनपद गाजियाबाद के अन्तर्गत आने वाले एक छोटे से गांव रघुनाथपुर में हुआ, ने एम.ए. समाजषास्त्र, राजनीतिषास्त्र, अर्थषास्त्र, हिन्दी, बी0एड़0, एम, एड़., एम. फिल, पी.एच.डी., नेट, पोस्टडॉक्टरल फेलो, सीनियर एकेडेमिक फेलो, शिक्षण व शोध में लगभग 20 वर्ष का अनुभव रहा है। इनकी 6 पुस्तकें प्रकाषित व 2 पुस्तके प्रक्रियाधीन हैं 01 प्रमापीकृत शोध उपकरण (त्मेमंतबी ज्ववस) का निर्माण एवम् प्रकाषन हो चुका है। तथा 35 राष्ट्रीय व अर्न्तराष्ट्रीय सेमीनार, वर्कषॉप, 30 शोध-पत्र, राष्ट्रीय व अर्न्तराष्ट्रीय शोधपत्रिका में प्रकाषित हो चुके हैं और तीन शोधपत्र प्रक्रियाधीन हैं। लेखक ब्रिटिष काउंसिल दिल्ली व इण्डियन काउंसिल ऑफ वल्ड एफेयर्स नई दिल्ली, व सामाजिक, शोध पत्रिका के सदस्य रह चुके हैं।

About book : इस पुस्तक लेखन का उद्देष्य शिक्षा के एक महत्वपूर्ण घटक शिक्षण-शिक्षा प्रबन्धन व प्रषासन की सूक्षमताओं को अवगत कराना है। जिसके अभाव में प्रबन्धन तंत्र, प्रषासक व षिक्षकगण व छात्र शिक्षा के मुख्य उद्देष्य तक नही पहंुच पाते हैं, साथ ही साथ यह भी अवगत कराना है स्वःवित्त पोषित शिक्षा संस्थानों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। ऐसे में शैक्षिक प्रबन्धन व शैक्षिक प्रषासन को जानना और अधिक अनिवार्य/महत्वपूर्ण हो जाता है। चूंकि प्रबन्धन तंत्र षिक्षा के क्षेत्र में नये-नये अविर्भाव हुआ है। प्रबन्धक तो वह पहले से भी रहे हैं लेकिन शैक्षिक संस्थाओं का प्रबन्धन उनके सामने चुनौती है। ऐसे में हमारा दायित्व बन जाता है कि हम अपने पाठकों को अनुभव, सीख व अन्य विद्वानों के मत को एकजाई करते हुए इस पुस्तक के रूप में शिक्षा से जुडे़ प्रत्येक पाठक को शैक्षिक प्रबन्धन व शैक्षिक प्रषासन की जानकारी उपलब्ध करायी जायें। बैसिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक पाठ्यक्रम, शिक्षक-छात्र व भौतिक संसाधन उपयुक्त हैं, पर्याप्त हैं, लेकिन शैक्षिक प्रबन्धन व शैक्षिक प्रषासन के सिद्धान्तों की कम जानकारी षिक्षा के प्रति नीरसता उत्पन्न करती रही है जिससे षिक्षा का मुख्य उद्देष्य अधिगम प्रभावित होता रहा है और मानवीय व भौतिक संसाधनों के अनुपात में परिणाम प्राप्त नही हो पाये। इस पुस्तक के लेखन में प्रोफेसर सुरक्षापाल (पूर्व विभागाध्यक्षा, संकाय अध्यक्षा, शिक्षा विभाग चौ. चरण सिंह वि0वि0) व प्रो. जे. पी. श्रीवास्तव जी (पूर्व विभागाध्यक्षा, संकाय अध्यक्षा, शिक्षा विभाग चौ. चरण सिंह वि.वि.), प्रो. बी. के. शर्मा जी (शिक्षा विभाग चौ. चरण सिंह विष्वविद्यालय) के द्वारा सिखाये गये शैक्षिक प्रबन्धन व शैक्षिक प्रषासन के अनुभवों को इस पुस्तक में समाहित करने का प्रयास किया गया है।

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