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ISBN : 978-93-6087-017-1

Category : Non Fiction

Catalogue : Religioius

ID : SB21726

कलयुग में राम राज्य एक संकल्प एक संभावना

राजीव बैरागर

Hardcase

1500.00

e Book

300.00

Pages : 109

Language : Hindi

About Book

पुस्तक परिचय पुस्तक नाम: कलियुग में रामराज्य लेखक: राजीव बेरागर "कलियुग में रामराज्य" एक ऐसी विचारशील कृति है जो भौतिकतावादी वर्तमान युग में आदर्श समाज की परिकल्पना प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक बताती है कि प्रभु श्रीराम द्वारा स्थापित "रामराज्य" कोई मात्र पौराणिक कथा नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन है, जो आज भी हमारे सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। पुस्तक में वर्णित विषय-वस्तु निम्न बिंदुओं पर केंद्रित है: श्रीराम के जीवन की नैतिक शिक्षाएँ रामराज्य का सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक स्वरूप वर्तमान भारत में रामराज्य की संभावनाएँ आज के नेताओं, नागरिकों और युवाओं के लिए श्रीराम का संदेश कलियुग की चुनौतियों में रामराज्य की प्रासंगिकता लेखक ने अत्यंत सरल भाषा और प्रभावशाली शैली में यह समझाने का प्रयास किया है कि यदि श्रीराम के आदर्शों को अपने निजी और सार्वजनिक जीवन में अपनाया जाए, तो आज भी एक संतुलित, न्यायपूर्ण और सुखी समाज की स्थापना संभव है। यह पुस्तक सभी आयु वर्गों के पाठकों के लिए एक प्रेरक मार्गदर्शन सिद्ध होगी — विशेषकर उन लोगों के लिए जो भारत की मूल आत्मा, संस्कृति और धर्म के पुनरुत्थान की कामना करते हैं। --


About Author

लेखक परिचय राजीव बेरागर, एक समर्पित लेखक, समाजचिंतक एवं सांस्कृतिक मूल्यों के संवाहक हैं। भारतीय इतिहास, नीति, धर्म, और समाज पर गहन अध्ययन और चिंतन के साथ उन्होंने कई रचनाओं के माध्यम से आज के युग में हमारी प्राचीन धरोहर की प्रासंगिकता को उजागर किया है। राजीव जी का लेखन न केवल साहित्यिक सौंदर्य से युक्त होता है, बल्कि उसमें सामाजिक चेतना, नैतिक आग्रह और सांस्कृतिक गौरव की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। विशेष रूप से "कलियुग में रामराज्य" जैसी पुस्तक के माध्यम से मेने दिखाने का प्रयास किया है कि प्रभु श्रीराम का जीवन दर्शन और उनकी शासन प्रणाली आज के समाज के लिए कितनी प्रेरणादायक और आवश्यक है। लेखक का उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं, बल्कि पाठकों में एक सकारात्मक परिवर्तन की चिंगारी पैदा करना है। यदि रामराज्य जैसे सिद्धांतों को वर्तमान जीवन में उतारा जाए, तो समाज में स्थायी शांति, न्याय और समरसता की स्थापना संभव है। "लेखन मेरे लिए साधना है, और राष्ट्रहित मेरी प्राथमिकता।" – राजीव बेरागर ---

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