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ISBN : 978-93-6087-877-1

Category : Non Fiction

Catalogue : Story

ID : SB21295

आत्मनिर्भर इंदिरा

बावली कि कहाँनी

इंदिरा एम जादव

Paperback

99.00

e Book

99.00

Pages : 30

Language : Hindi

PAPERBACK Price : 99.00

About Book

आत्म निर्भर बावली कि जिवन कहानी जो पढने वालो को एक सामाजिक असर डालती है कि एक बेटी जो जीवन मे संघर्ष करके कैसे आगे बढती है अपनी सादी भाषा मे वर्णन कीया है. बचपन से लेकर अपनी स्कूल को खोजना, अकेले ही पढाइ के प्रती अपना लगाव, घर के काम काजी के साथ हसते खेलते काम करना और अपनी खेलने कि आयु मे एक जिम्मेदारी अपने कुटुम्ब को मदद करने की भावना के साथ मजुरी करके आगे बढना एक सराहनीय लेखन की प्रस्तुती की गइ है. जिसका भी मेरे से सम्पर्क होता है वो यही बोलते है की आपका जिवन का तजुर्बा एक प्रेरणा दायक है. सब मेरे से प्रेरित होते है. (All are told me you are a inspiration lady). जीवन एक सफर है, और इस राह में हमें हर कदम पर नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो कड़ी मेहनत के बावजूद भी हमें सफलता नहीं मिल पाती, और हम हताश हो जाते हैं। दोस्तों, चाहे हालात कितने भी खराब क्यों न हों, हममें उस स्थिति से लड़ने की ताकत होती है। बस हमें इस ताकत को जगाना होता है, और ये ताकत हमारी मानसिक शक्ति है। चाहे जीवन हो, व्यापार हो, नौकरी हो या पढ़ाई, हर जगह सफल होने के लिए हमें मानसिक रूप से सकारात्मक सोचना बहुत जरूरी है।


About Author

इस कहानी से समाज मे बेटी बचावो, बेटी पढावो, एक बेटी जो अपने मा-बाप और ससुराल मे सास और ससुर की सेवा और ससुराल वालो कि सेवा करके आगे अपने जिवन को बढाती है. लड़कियाँ प्रकृति का अनमोल उपहार हैं। आओ बेटी के बारे मे सोचे लड़कियाँ प्रकृति का अनमोल उपहार हैं। उड़के एक रोज़... उड़के एक रोज़ बड़ी दूर चली जाती हैं · बेटी मुस्कुराती है तो भगवान भि साथ देता है घर में उजाले के लिए एक बेटी ही काफी है.

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